Thursday, February 5, 2009

दम भर के लिए मेरी दुनिया में चले आओ....



कल आफिस जाते समय गाड़ी में एफ एम् पर एक गीत अचानक ही बजने लगा . पहले तो विश्वास ही नही हुआ की एफ एम् वालों को भी ये गाने याद हैं ? खैर उसके बाद तो सारे दिन तलत महमूद साहब की रेशमी आवाज़ का जादू दिल पर छाया रहा। आइये आप भी सुनिए १९५५ में बनी फ़िल्म 'बारादरी' का यह गीत..... तसवीर बनाता हूँ तस्वीर नहीं बनती...




9 comments:

Vinay said...

कमाल का गीत है, सुनवाने का धन्यवाद!

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गुलाबी कोंपलें

bijnior district said...

शानदार गीत

परमजीत सिहँ बाली said...

आभार।

परमजीत सिहँ बाली said...

आभार।

Manish Kumar said...

विविध भारती पर ये गीत सत्तर और अस्सी के दशक में बारहा सुना है। इस सदाबहार गीत की याद दिलाने के लिए आभार !

योगेन्द्र मौदगिल said...

बेहतरीन प्रस्तुति..........Wah..

siddheshwar singh said...

दम भद्र की फुरसत पाई और आ गया..
बहुत कछ पा गया !

कंचन सिंह चौहान said...

हम्म्म् हमने भी विविध भारती पर बहुत बार सुना है...!
मुझसे मेरी बिगड़ी हुई तकदीर नही बनती

Anonymous said...

This is one of my all time favorite, thanks for taking us back to the golden era of black and white. Have a gr8 day.

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