कल आफिस जाते समय गाड़ी में एफ एम् पर एक गीत अचानक ही बजने लगा . पहले तो विश्वास ही नही हुआ की एफ एम् वालों को भी ये गाने याद हैं ? खैर उसके बाद तो सारे दिन तलत महमूद साहब की रेशमी आवाज़ का जादू दिल पर छाया रहा। आइये आप भी सुनिए १९५५ में बनी फ़िल्म 'बारादरी' का यह गीत..... तसवीर बनाता हूँ तस्वीर नहीं बनती...
9 comments:
कमाल का गीत है, सुनवाने का धन्यवाद!
---
गुलाबी कोंपलें
शानदार गीत
आभार।
आभार।
विविध भारती पर ये गीत सत्तर और अस्सी के दशक में बारहा सुना है। इस सदाबहार गीत की याद दिलाने के लिए आभार !
बेहतरीन प्रस्तुति..........Wah..
दम भद्र की फुरसत पाई और आ गया..
बहुत कछ पा गया !
हम्म्म् हमने भी विविध भारती पर बहुत बार सुना है...!
मुझसे मेरी बिगड़ी हुई तकदीर नही बनती
This is one of my all time favorite, thanks for taking us back to the golden era of black and white. Have a gr8 day.
Post a Comment