फ़िक्र मोमिन की, ज़ुबां दाग की, गालिब का बयाँ, मीर का रंगेसुखन हो तो ग़ज़ल होती है। सिर्फ़ अल्फाज़ ही मानी नहीं करते पैदा, ज़ज्बा-ऐ-खिदमत-ए-फ़न हो तो ग़ज़ल होती है।
उसकी चर्चा एक ऐसा तिलिस्म है, जो कभी तोडा ना जा सकेगावो एहसास करने की चीज़ है, चर्चा की नही
waah!!
सिर्फ़ एहसास है,इसे रूह से महसूस करो.........और बस डूबते जाओ......
बेहतरीन सिंह साब!
नुरसत उस्ताद का जलवा है कि कम पड़ता ही नहीं.अच्छा हुआ हम कलजुग में भये...उस्ताद को मिलने जन्नत में कहाँ जा पाते ?
सच कहा गूँगे गुड़....!
मेरो मन अनत कहाँ सुख पावे!
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7 comments:
उसकी चर्चा एक ऐसा तिलिस्म है, जो कभी तोडा ना जा सकेगा
वो एहसास करने की चीज़ है, चर्चा की नही
waah!!
सिर्फ़ एहसास है,इसे रूह से महसूस करो.........और बस डूबते जाओ......
बेहतरीन सिंह साब!
नुरसत उस्ताद का जलवा है कि कम पड़ता ही नहीं.अच्छा हुआ हम कलजुग में भये...उस्ताद को मिलने जन्नत में कहाँ जा पाते ?
सच कहा गूँगे गुड़....!
मेरो मन अनत कहाँ सुख पावे!
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