(सभी चित्र इन्टरनेट से साभार)
भारतरत्न पंडित भीमसेन जोशी ! एक बार पुनः राजनैतिक प्रतिष्ठान एक महान प्रतिभा को सम्मानित कर स्वयं ही सम्मानित हुआ है। नादब्रह्म के इस उपासक ने अपनी घन-गंभीर आवाज़ में जिस अप्रतिम नाद-सौन्दर्य का सृजन किया है उससे अभिभूत हो सिर्फ़ उसके सन्मुख नतमस्तक हुआ जा सकता है। संभवत विद्वान लोग जोशी जी के गायन के बारे में कुछ कहें हम जैसे अल्पज्ञों के लिए तो यह सूरज को दीपक दिखाने जैसा है । लीजिए आप भी सुनिए पंडित जी की आवाज़ में सूरदास जी का एक भजन जो मुझे बहुत पसंद है-
8 comments:
नतमस्तक!
और क्या कहूँ ?
मन हर लियो...
आनंदम ! आनंदम !!
आभार…
pata nahin kyun sunai nahin de raha hai ye bhajan.
Ek sahi samman is guni kalakaar ke liye.
आपकी इस जीवंत प्रस्तुति को नमन
aur aapne album (photo bhi, music bhi) shandaar pesh kee
दादा
आपकी मेरी भावना बिलकुल मिलती जुलती है कि भीमसेन जी को मिले इस सम्मान से भारतरत्न ही सम्मानित हुआ है.यही बात मैंने एक स्थानीय अख़बार में लिखे अपने लेख में कही थी.
पंडितजी के चित्रों कोलाज बहुत सुन्दर बन पड़ा है.
इतना ही कह सकता हूँ की आत्मा तृप्त हो गई ... आभार
Post a Comment