Friday, November 7, 2008

मधुकर श्याम हमारे चोर...



(सभी चित्र इन्टरनेट से साभार)
भारतरत्न पंडित भीमसेन जोशी ! एक बार पुनः राजनैतिक प्रतिष्ठान एक महान प्रतिभा को सम्मानित कर स्वयं ही सम्मानित हुआ है। नादब्रह्म के इस उपासक ने अपनी घन-गंभीर आवाज़ में जिस अप्रतिम नाद-सौन्दर्य का सृजन किया है उससे अभिभूत हो सिर्फ़ उसके सन्मुख नतमस्तक हुआ जा सकता है। संभवत विद्वान लोग जोशी जी के गायन के बारे में कुछ कहें हम जैसे अल्पज्ञों के लिए तो यह सूरज को दीपक दिखाने जैसा है । लीजिए आप भी सुनिए पंडित जी की आवाज़ में सूरदास जी का एक भजन जो मुझे बहुत पसंद है-


8 comments:

siddheshwar singh said...

नतमस्तक!
और क्या कहूँ ?
मन हर लियो...

अमिताभ मीत said...

आनंदम ! आनंदम !!

पारुल "पुखराज" said...

आभार…

Manish Kumar said...

pata nahin kyun sunai nahin de raha hai ye bhajan.

Ek sahi samman is guni kalakaar ke liye.

योगेन्द्र मौदगिल said...

आपकी इस जीवंत प्रस्तुति को नमन

Ek ziddi dhun said...

aur aapne album (photo bhi, music bhi) shandaar pesh kee

संजय पटेल said...

दादा
आपकी मेरी भावना बिलकुल मिलती जुलती है कि भीमसेन जी को मिले इस सम्मान से भारतरत्न ही सम्मानित हुआ है.यही बात मैंने एक स्थानीय अख़बार में लिखे अपने लेख में कही थी.

पंडितजी के चित्रों कोलाज बहुत सुन्दर बन पड़ा है.

दीपक बाबा said...

इतना ही कह सकता हूँ की आत्मा तृप्त हो गई ... आभार

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