Sunday, October 26, 2008

जो मैं भी हूँ और तुम भी हो......

आप सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं। यह प्रकाशपर्व हम सब के जीवन को और मन-प्राण को नवप्रकाश से भर दे। इन्ही दुआओं के साथ पेश है अव्यवस्था और अत्याचार के अंधेरों के विरुद्ध प्रकाश का आवाह्न करती फैज़ अहमद फैज़ की यह नज़्म। इक़बाल बानो की शानदार गायकी ने इसे और भी असरदार बना दिया है। अच्छी कविता और अच्छे संगीत का शानदार संयोग-




हम देखेंगे
लाज़िम है के हम भी देखेंगे
वो दिन के जिस का वादा है
जो लौह-ए-अज़ल में लिखा है ।

जब ज़ुल्म-ओ-सितम के कोहेगराँ
रूई की तरह उड़ जायेंगे
हम महकूमों के पाँव तले
ये धरती धड़ धड़ धड़केगी
और अहलेहकम के सर ऊपर
जब बिज़ली कड़ कड़ कड़केगी ।

जब अर्जेख़ुदा के काबे से
सब बुत उठवाये जायेंगे
हम अहलेसफ़ा मरदूदेहरम
मसनद पे बिठाये जायेंगे
सब ताज उछाले जायेंगे
सब तख्त गिराए जायेंगे।

बस नाम रहेगा अल्लाह का
जो गायब भी है हाज़िर भी
जो मंज़र भी है नाज़िर भी
उठेगा अनलहक़ का नारा
जो मैं भी हूँ और तुम भी हो
और राज करेगी ख़ल्क़-ए-ख़ुदा
जो मैं भी हूँ और तुम भी हो।

6 comments:

समयचक्र said...

दीपावली के पावन पर हार्दिक शुभकामना .

Udan Tashtari said...

आपको एवं आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.

Manoshi Chatterjee मानोशी चटर्जी said...

सुनने में कुछ असुविधा रही...पता नहीं क्यों...

दिवाली की शुभकामनायें।

दिनेशराय द्विवेदी said...

दीपावली पर हार्दिक शुभकामनाएँ। दीपावली आप और आप के परिवार के लिए सर्वांग समृद्धि और खुशियाँ लाए।

Anonymous said...

Wishing u and ur family a very happy deepavali (belated). thanks for the good collection of songs the latest by Faij ji is very touching in Iqabal bano's voice. plz keep up the good work, I am from hyderabad and very often i listen to the music on ur blog though there is some problem in the audio but the good collection makes up for the flaw. once again i thank u for such lovely collection of music otherwise i would not have had the opportunity to listen to this in my life. God bless u.

Anonymous said...

Hey, something is wrong with your site in Opera, you should check into it.

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